बेलपत्र के टोटके: बेल पत्र के उत्पत्ति के विषय में हमारे शास्त्रों में बहुत सारी कथाएं है, स्कंद पुराण के अंतर्गत समुद्र मंथन के समय बेलपत्र पेड़ की उत्पत्ति हुई है। जैसे तुलसी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, वैसे ही बिल्व वृक्ष को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे अग्रतः शिवरूपाय बिल्व वृक्षाय नमो नमः। जिसके जड़ में ब्रह्मा मध्य में विष्णु और अग्र भाग में भगवान महादेव का वास है, ऐसे बिल्व वृक्ष को हम प्रणाम करते हैं। इस पोस्ट में हमने आपको बेलपत्र पेड़ ( bel patra ka ped ) के चमत्कारी और लाभकारी टोटके तथा बेलपत्र के चमत्कारी उपाय दिए है जिससे आप अपनी समस्या से मुक्ति पा सकते है।
बेलपत्र के पेड़ की पूजा कैसे करनी चाहिए?
बेलपत्र पेड़ की पूजा (bel patra tree) हमेशा उसकी छाया में बैठकर उनकी पूजा करनी चाहिए। कब करनी चाहिए अष्टमी के दिन, चतुर्दशी के दिन, प्रदोष के दिन, श्रावण मास के महीने में, माघ मास के महीने में, सोमवार के दिन यदा-कदा जब भी आपको समय मिले और वृक्ष की पूजा कर सकते हैं। शास्त्र का कोई भी निषेध मनाई वारो को लेकर तिथियों को लेकर नहीं है।
जब कोई पुरुष पूजन करे तो श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए क्योकि श्वेत वस्त्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। वैसे ही स्त्री लाल, जामुनी,पीला वस्त्र धारण कर सकती है, लेकिन स्त्री को काला और अत्यंत सफ़ेद वस्त्र धारण करना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है। आसन बिछाकर पूर्वाभी मुख या उत्तराभी मुख करके बेलपत्र वृक्ष की पूजन करना चाहिए और तिल के या गाय के घी का दीपक बेलपत्र वृक्ष की जड़ में जरूर अर्पण करना चाहिए।
बेलपत्र के पेड़ के नीचे दीपक कब लगाना चाहिए?
बेलपत्र के पेड़ के निचे दीपक सुबह और श्याम के समय लगा सकते है, परंतु श्याम के समय प्रदोष काल में दीपक लगाना अत्यंत शुभ और लाभप्रत माना जाता है। प्रदोष काल को गोदुली बेला कहा जाता है क्योकि इस समय दिन और रात मिल रहे होते है, इसलिए इसे संध्याकाल कहा जाता है और पूजा करने के लिए यह समय सरोत्तम माना जाता है। श्याम के 5.30 से लेकर 8.00 बजे तक के समय को प्रदोष काल कहलाता है।
बेलपत्र वृक्ष के आसान, चमत्कारी और लाभदायक टोटके
Bel Patra Ke Totke: बेल पत्र पेड़ के कई आसान और सरल टोटके है, जो आपको अपने जीवन में जो भी आवशकता है वो ये चमत्कारी बेलपत्र के टोटके करनेसे पूर्ण हो जाती है। बेलपत्र के चमत्कारी उपाय आपके जीवन में कई बदलाव लाने की ताकद रखता है।
1. गृहक्लेश और ग्रहदोष हेतु
यदि आपके घर में कलेश रहता है, राहु केतु की दशा रहती हैं, तो ऐसे में विद्यार्थी के उज्जवल भविष्य के लिए बेलपत्र वृक्ष के पूजा का उपाय करना चाहिए।
उपाय: दूध में काले तिल मिलाकर आप प्रत्येक सोमवार और प्रत्येक प्रदोष के दिन बेल वृक्ष की जड़ में उसको अर्पण कर दें, ध्यान दीजिएगा यह उपाय आपको विशेष फल से अनुग्रहित करने वाला होता है।
2. कार्यो मे विघ्न और व्यापर में रूकावट
यदि आपके कार्य में विघ्न पैदा होता है आपके कार्य बनते नहीं है रुकावटें बहुत ज्यादा आती है, या फिर व्यापार में धन की बरकत नहीं होती आपका व्यापार चल नहीं रहा है तो क्या करें?
उपाय: आप दूध में काले तिल मिलाकर बेल वृक्ष की जड़ में अर्पण करें और एक सूती धागा सफेद हो उसको आपने परिक्रमा करते हुए 7 बार उसकी जड़ से बांध देना है और 108 बार उसकी छांव में बैठकर ओम नमः शिवाय का जाप करे।
3. संतान प्राप्ति हेतु
यदि आपको शादी करके बहोत समय हो गया है, लेकिन संतान सुख नहीं मिल रहा है तो क्या करे ?
उपाय: आपने बेल वृक्ष के जड़ के पास में एक शिवलिंग की स्थापना करनी है और नित्य शिवलिंग की पूजा करनी है। दूध दही के द्वारा शिवलिंग को आपने नित्य स्नान कराना है और उसके बाद आपने नित्य खीर का भोग लगाना है। उस खीर के भोगों का आप दोनों पति-पत्नी ने स्वयं ग्रहण करना है और शिव पुराण का पाठ, आपने एक अध्याय दो अध्याय नित्य पठन करना है। यह उपाय आपको जब तक करना है, आपका शिवपुराण पूर्ण ना हो जाए।
4. दापंत्य जीवन में खुशहाली हेतु
यदि पति-पत्नी के दांपत्य में झगड़ा रहता है, अनबन रहती हैं तो क्या करें?
उपाय: इसके लिए आप जिस प्रकार नित्य रूपसे शिवपूजन करते हैं, वैसे ही करना चाहिए। पूजन में चमेली के तेल का दीपक अर्पण करना चाहिए और खीर का भोग लगाते हुए, उस खीर के भोग को आपने किसी गरीब दापंत्य या किसी ब्राह्मण दांपत्य को खिला देना चाहिए। इस उपाय से दापंत्य जीवन में होने वाले अनबन, झगड़े से राहत मिलती है।
5. अमंगल दूर करने के लिए
यदि आप अपने जीवन में अमंगल दूर करना चाहते हो तो क्या करे ?
उपाय: आपको नित्य भगवान महादेव स्वरूप बेल वृक्ष के जड़ में एक तांबेका लोटा भरकर जल अर्पण करना चाहिए और उसकी जड़ की मिट्टीका तिलक माथेपर लगाना चाहिए। इससे जीवन में होने वाले अमंगल दूर हो जाते है।
बेलपत्र कब तोड़ने चाहिए?
- शास्त्रों में कहा गया है की अमावस्या के दिन, अष्टमी के दिन, चतुर्दशी के दिन, सोमवार के दिन, कभी भी बेल वृक्ष में से बेलपत्र को नहीं तोड़ना चाहिए।
- जो भी सोमवार के दिन, अमावस्या के दिन, संक्रांत के दिन, अष्टमी के दिन, चतुर्दशी के दिन से बेलपत्र को तोड़ता है तो वह इंसान नरक का भागी होता है।
- आप जब भी बेलपत्र को तोड़े तो एक ही पत्ता तोड़ना चाहिए पूरी तहिनी नहीं तोड़नी चाहिए। तोड़ के उसे खंडित नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह भगवान महादेव का स्वरूप माना जाता है।
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