हनुमान जी प्रत्यक्ष देवता होने के कारण उनके दर्शन करने की हर भक्त की इच्छा होती है। इसलिए हमने मारुति के भक्तों के लिए दो प्राचीन मंत्र साधना आपको इस ब्लॉग पोस्ट में दिए हैं, तो चलिए जानते कौन सी दो मंत्र साधना।
दर्शन हेतु ॐ हनुमान पहलवान मंत्र साधना
यह शाबरी मंत्र साधना अत्यंत दुर्लभ मानी जाती है। यह शाबर मंत्र साधना गुरु के मार्ग दर्शन में ही करनी चाहिए इससे साधना में सफलता मिलने मे आसानी होती है।दर्शन प्राप्ती ॐ हनुमान पहलवान , वर्ष 12 का जवान मंत्र साधना
मंत्र
ॐ हनुमान पहलवान । वर्ष बारह का जवान ।।
हाथ में लड्डू मुख में पान। आओ-आओ बाबा हनुमान ॥
न आओ तो दुहाई महादेव- गौरा पार्वती की ॥
शब्द सांचा पिण्ड कांचा । फुरे मन्त्र ईश्वरो वाचा ॥
हाथ में लड्डू मुख में पान। आओ-आओ बाबा हनुमान ॥
न आओ तो दुहाई महादेव- गौरा पार्वती की ॥
शब्द सांचा पिण्ड कांचा । फुरे मन्त्र ईश्वरो वाचा ॥
साधना विधि
इस मन्त्र का अनुष्ठान मंगल या शनिवार से प्रारम्भ कर एक सौ बीस दिन करें, प्रतिदिन इस मन्त्र की 11 माला जप विधि-विधान से करना चाहिए, साधक ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर हनुमान जी के मन्दिर में या किसी निर्जन स्थान में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करे।
इस मन्त्र का अनुष्ठान मंगल या शनिवार से प्रारम्भ कर एक सौ बीस दिन करें, प्रतिदिन इस मन्त्र की 11 माला जप विधि-विधान से करना चाहिए, साधक ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर हनुमान जी के मन्दिर में या किसी निर्जन स्थान में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करे।
सर्व प्रथम उस मूर्ति पर सिन्दूर में चमेली का खुशबू दार तेल मिला कर चोला चढ़ाये, फिर उस प्रतिमा के आगे जनेऊ, खड़ाऊँ, लाल लंगोट, लाल चन्दन, सात लड्डू, नारियल, पेड़ा, लाल ध्वज, मौसमी फल आदि चढ़ावें तथा जप के समय साधक लाल वस्त्र धारण करें।
लाल आसन पर बैठ कर लाल-चन्दन की माला से जप करें तथा प्रत्येक मंगलवार को श्री हनुमान जी का व्रत रखे तथा प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को छोटे बालकों को चने-गुड़ तथा लड्डुओं का वितरण करें नियमों का पालन एवं मन एकाग्र कर जप करें तो श्री हनुमान जी साधक को दर्शन देकर उसे मनोवांछित वर प्रदान करते हैं।
हनुमान जी के दर्शन करने का मंत्र
मंत्र
उलटा बीर बजरंग का पाँव कर,
नींसम कवटाल खाय बारा कोस आघाड़,
सम तेरा कोस पिच्छाङसम,
आन पोहोंच रे उलटा बीर बजरंग का पाँव ॥
जहाँ है वहाँ से लाव इस काया पिण्ड
के बाला कू नव नाड़ी से,
बहात्तर कोठड़ी से रोम-रोम से,
चाम- चाम से गुदगुद से,
पकड़ के लाव ॥
मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति
फुरो मन्त्र ईश्वरी वाचा ॥
नींसम कवटाल खाय बारा कोस आघाड़,
सम तेरा कोस पिच्छाङसम,
आन पोहोंच रे उलटा बीर बजरंग का पाँव ॥
जहाँ है वहाँ से लाव इस काया पिण्ड
के बाला कू नव नाड़ी से,
बहात्तर कोठड़ी से रोम-रोम से,
चाम- चाम से गुदगुद से,
पकड़ के लाव ॥
मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति
फुरो मन्त्र ईश्वरी वाचा ॥
साधना विधि
इस मन्त्र की साधना 41 दिन की है, हनुमान विषयक सभी नियमों को मानते हुए किसी मंगलवार या शनिवार से यह साधना शुरु करें, सर्व प्रथम साधक हनुमान जी की प्रतिमा को किसी साफ-स्वच्छ कमरे में रखकर विधिवत प्राण- प्रतिष्ठा करें, फिर दायें हाथ से किसी पात्र में कुएँ का जल लाकर मुर्ति को स्नान करावें।
इस मन्त्र की साधना 41 दिन की है, हनुमान विषयक सभी नियमों को मानते हुए किसी मंगलवार या शनिवार से यह साधना शुरु करें, सर्व प्रथम साधक हनुमान जी की प्रतिमा को किसी साफ-स्वच्छ कमरे में रखकर विधिवत प्राण- प्रतिष्ठा करें, फिर दायें हाथ से किसी पात्र में कुएँ का जल लाकर मुर्ति को स्नान करावें।
स्नान के लिए जिस पात्र में जल लायें उस पात्र को तब तक जमीन में न रखें जब तक स्नान न करा चुकें, फिर स्नान के बाद पात्र रखकर हल्दी, कुंकुम, आक के फूल, शक्कर से निर्मित नैवेद्य, सिन्दूर, उड़द के 21 दानों से यथा विधि पूजन कर, एक आटे के दीपक में पाँच बत्तियाँ डाल कर शुद्ध घी से प्रज्वलित करें, तथा कपूर - गुग्गल की धूप दें।
सवा किलो आटे का रोट बनाकर उसके ऊपर पंचमुखी दीपक रखें, फिर 1 माला का जप नित्य करें, जपांत में दशांश हवन करें। 41 दिन के इस अनुष्ठान में हनुमान जी किसी न किसी रूप में दर्शन देकर साधक की इच्छा पूरी करते हैं।
ध्यान रहे यह ॐ हनुमान पहलवान मंत्र साधना गुरु के किसी अच्छे मार्गदर्शन क्योकि गुरु के मार्ग दर्शन में साधना सफल होती है और मंत्र साधना को अछे से समजे तभी आपकी साधना सफल होगी और ब्रम्हचर्य का खास ख्याल रखे धनयवाद।
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