गोपनीय चमत्कारी गायत्री मंत्र के 13 गुप्त उपाय

महर्षि विश्वामित्र ने ब्रह्मा से एक मंत्र प्राप्त किया और उसे सिद्ध कर उसकी पूर्ण उपासना विधि निर्मित करें तत्पश्चात इसे गायत्री मंत्र कहा गया। गायत्री मंत्र को मंत्रराज कहा जाता है, क्योंकि इस मंत्र में महा उद्देश्य पूरे किए जा सकते हैं। 

स्वयं ऋषि विश्वामित्र भी इस मंत्र के बल पर एक अलग विश्व बनाने में सक्षम हो सके, बड़े-बड़े ऋषि मुनि भी अपने जीवन में गायत्री मंत्र को उतारने का प्रयास करते रहते हैं। 

हर एक सनातनी गायत्री मंत्र का महत्व जानता है और फिर उसके लाभ से परिचित है, परंतु आज हम इसके अनेकों उपाय में से रोग नाश, एवं ग्रह शांति के लिए गुणकारी प्रयोगों को जानने का प्रयास करेंगे, तो आइए जानते हैं गायत्री मंत्र के 13 गुप्त उपाय और उससे होने वाले कुछ लाभकारी फायदे।

गायत्री मंत्र के 13 गुप्त उपाय 

  1. गायत्री मंत्र जपते हुए फूलों का हवन करने से सर्व सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
  2. शंख पुष्पी के पुष्पों से गायत्री मंत्र का हवन करने से कुष्ठ रोगो का निवारण होता है।
  3. आम के पत्तों को गाय के दूध में डुबोकर हवन करने से सभी प्रकार के ज्वर रोग में लाभ होता है।
  4. शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे गायत्री मंत्र जप करने से सभी प्रकार की ग्रह बाधा से रक्षा होती है।
  5.  बेत की लकड़ी से गायत्री मंत्र का हवन करने से विद्युत पात और राष्ट्र विप्लव की बाधाएं दूर होती है।
  6. लाल कमल या चमेली के फूल एवं शाली चावल से गायत्री मंत्र का हवन करने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है।
  7. गायत्री मंत्र का 108 बार जाप कर केवल जल का फूंक लगाने पर भी भूतबाधा, नजर आदि दोष दूर होता हैं।
  8. महान प्राण संकट में नदी के पानी में कंठ तक खड़े होकर नित्य 108 बार गायत्री मंत्र जपने से प्राण रक्षा होती है।
  9. दुःखी होकर आर्त भाव से मंत्र जप कर कुशा पर फूंक मारकर शरीर का स्पर्श करने पर, सभी प्रकार के रोग व भूत भय नष्ट हो जाते हैं।
  10. बिल्व पुष्प, फल, घी खीर की हवन सामग्री बनाकर बेल के छोटे-छोटे टुकड़े कर बिल्व की लकड़ी से हवन करने पर भी लक्ष्मी प्राप्ति होती है।
  11. कुछ दिन नित्य 108 बार गायत्री मंत्र जपने के बाद जिस तरफ मिट्टी का ढेला फेका जायेगा, उस तरफ से शत्रु वायु अग्नि दोष दूर हो जाएगा।
  12. गुरुचि के पोधे की छोटे-छोटे टुकड़े कर गाय के दूध में डुबोकर नित्य 108 बार गायत्री मंत्र पढ़कर हवन करने से मृत्यु योग का निवारण होता है।
  13. ग्रह शांति में शमी वृक्ष की लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े कर गूलर, पाकर, पीपल और बरगद के साथ गायत्री मंत्र की 108 आहुतियां देने से शांति मिलती है।

गायत्री मंत्र 

  • गायत्री मंत्र: ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

गायत्री मंत्र का अर्थ 

उस प्राण स्वरूप, दुख नाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पाप नाशक, देव स्वरूप, परमात्मा को हम अंतरात्मा में धारण करें, वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।

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