Shatru Nashak Mantra: 3 सर्व गुप्त शत्रु नाशक मंत्र


Shatru Nashak Mantra: शत्रुओं को नष्ट करने और उनके खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक प्राचीन विद्या है। यह मंत्र और तंत्र का शत्रु का नाश करने का उपाय उपयोग करके शत्रुओं के प्रति निर्भय करता है और उन्हें नियंत्रित करता है। 

यह गुप्त शत्रु नाशक मंत्र न केवल शत्रुओं को नष्ट करने में मदद करता है, बल्कि शत्रुओं के आक्रमण से बचाने के लिए भी एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है। 

यह एक सर्व शत्रु नाशक मंत्र विद्या है जो शत्रुओं को शांत करने और सभी प्रकार के खतरों से बचाने में मदद करता है। हमारे जीवन में अक्सर ऐसे समय आते हैं जब हमें अपने शत्रुओं से निपटने की जरूरत होती है। 

क्या आप चाहेंगे कि आपके पास एक ऐसा उपाय हो जो आपके शत्रुओं को समाप्त कर सके? यहां हम आपको एक शक्तिशाली और प्रभावी शत्रु नाशक मंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका उपयोग करके आप अपने शत्रुओं से छुटकारा पा सकते हैं।

शत्रु नाशक मंत्र क्या है?और 3 Shatru Nashak Mantra

यह मंत्र एक प्राचीन तंत्रिक मंत्र है जिसका उपयोग शत्रुओं को समाप्त करने के लिए किया जाता है। इस मंत्र का जाप करने से शत्रुओं की शक्ति का नाश होता है और वे आपके जीवन से दूर हो जाते हैं। शत्रु नाशक मंत्र को उच्चारित करने के लिए आपको ध्यान और श्रद्धा से इसका जाप करना होगा।

1. शत्रु नाशक हनुमान मंत्र

यह मंत्र महावीर हनुमानजी से संबंधित है; अत: उन्हीं के वार मंगलवार से इस मंत्र की सिद्धि हेतु साधना आरम्भ करनी चाहिए। यह साधना यदि किसी एकांत में स्थित हनुमान मंदिर में की जाए तो अधिक फलदायी सिद्ध होती है। 

इस मंत्र का किसी एकांत स्थल वाले हनुमान मंदिर में पवन पुत्र हनुमानजी का सिंदूर आदि से पूजन करके मंगलवार से लेकर सोमवार तक सात दिन लगातार एक माला का जप करना चाहिए। इस प्रकार से जप करने से यह मंत्र सिद्ध होता है।

मंत्र 
पवन को पूत अंजनी को जाओ, 
राजा रामचन्द्र को हुकुम भयो।
फलाने वैरी को कुनवा मेरो किंकर भयो।
हुकुम अदूली न करे तो राधोराज को वचन पूरो न करे तो,
अंजनी माता के दूध को लजाए। शबद सांचा फुरो मंत्र हुम स्वाहा।

विधि
इस मंत्र में प्रयुक्त हुए शब्द 'फलाने' के स्थान पर साधक को अपने शत्रु का नाम उच्चारित करना चाहिए। यह मंत्र सिद्ध हो जाने के पश्चात मंगलवार को गुड़, चना और सवा किलो आटे का एक रोट बनाकर हनुमानजी को चढ़ाना चाहिए। 

पुजारी को एक थाली में आटा, दाल, घी, शक्कर, नमक, मिर्च और मसाले आदि के साथ यथाशक्ति दान-दक्षिणा देनी चाहिए। इसके आठ दिन बाद जब साधक भोजन ग्रहण करे तो वह मन-ही-मन इस सिद्ध मंत्र का सात बार उच्चारण करते हुए भोजन केवल हनुमानजी का स्मरण करते हुए ग्रहण करे। 

शेष भोजन में मंत्रोच्चारण और हनुमानजी का स्मरण आवश्यक नहीं है। यह प्रयोग नित्य करने पर शत्रु साधक के वशीभूत हो जाता है। यदि किसी कारणवश पहली बार में इस प्रयोग से अपेक्षित सफलता न प्राप्त हो तो साधक को हनुमानजी में श्रद्धा-भक्ति रखते हुए पुनः यह प्रयोग करना चाहिए और सिद्धि हेतु हनुमानजी से विनती करनी चाहिए। 

साधक को विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि वह भगवान श्रीराम में भी अगाध निष्ठा रखे क्योंकि भगवान् राम हनुमानजी के भी आराध्य हैं और जो साधक भगवान् राम में श्रद्धा नहीं रखता, हनुमानजी भी उनके कार्य सिद्ध नहीं करते।

2. दुर्गा गुप्त शत्रु नाशक मंत्र

यह मंत्र विधि-विधानपूर्वक चामुण्डा माई का नवरात्रों में पूजन करते सिद्ध किया जाता है। आरती में कपूर, भोग में गुड़ और दही का मिश्रण अथवा मदिरा, उड़द के उबले दाने या मांस का प्रयोग करें। नवरात्रों के नौ दिनों में इस मंत्र की नित्य प्रति एक माला का जप करें। इस प्रकार यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा।

मंत्र
ॐ नमो नमो नमो चामुण्डा माई, 
कालिया भेंरुआ सूकिया समूकिया,
इन्हीं बैरि बला को बांध। 
बांध याकूं मुख बांध चित्त बांध,
बुद्धी बांध हाथ बांध पांव बांध। 
चीरा चिरमिरी बांध, आंख नाक कांख अंग-अंग बांध। 
जो न बांधे तो चमार को चमरोद चण्डाली की कुण्डी में गिर।
लोना चमारी की अरज सौ-सौ महाकाल की आन। 
अलख निरंजन फू-फू करे, मेरो बैरी को बैर जरे मंत्र सांचा पिंड कांचा गुरु की शक्ति।

विधि
यह मंत्र सिद्ध करने के पश्चात् किसी शुभ मुहूर्त्त में नागरमोथा की जड़ को विधि-विधानपूर्वक ले आएं। नागरमोथा प्राय: नदियों में काफी मात्रा में मिलता है। इसकी जड़ बहुत सुगंधित होती है। 

नागरमोथा की जड़ पर चांदी का तार लपेटते हुए इस सिद्ध मंत्र का उच्चारण करते रहें और चांदी का तार इतना जड़ पर लपेटें कि वह तार से पूरी तरह आच्छादित हो जाए। ऐसा करने के बाद चांदीयुक्त नागरमोथा की जड़ को सामने रखकर अर्द्धरात्रि में सिद्ध मंत्र की एक माला का जप करें । 
 
इसके पश्चात साधक इस चांदीयुक्त नागरमोथा की अभिमंत्रित जड़ को मुख में रखकर जब अपने शत्रु के सम्मुख जाएगा तो शत्रु का मुख स्तम्भित हो जाएगा। 

उसके मुख से साधक के विरुद्ध आवाज तक न निकल सकेगी। यह प्रयोग न्यायालय आदि स्थानों के लिए अत्यंत लाभप्रद सिद्ध होता है। चांदीयुक्त इस अभिमंत्रित जड़ को साधक यदि अपनी दाहिनी भुजा में बांध ले तो शत्रु अपने आप में अत्यंत निर्बलता का अनुभव करने लगेगा। 

यदि साधक चांदीयुक्त इस अभिमंत्रित जड़ को चंदन के साथ घिसकर अपने मस्तक पर तिलक लगाए तो शत्रु के नेत्र उसे देखते ही पीड़ा से युक्त हो उठेंगे। 

शत्रु को सम्मुख देखकर साधक इस सिद्ध मंत्र का मन-ही-मन उच्चारण करते हुए दूर से ही शत्रु की ओर फूंक मार दे तो इससे शत्रु का मन और उसकी बुद्धि जड़ होने लगेंगे और शत्रु के मन से वैर-विरोध के भाव विस्मृत हो जाएंगे। यदि साधक को किसी कारणवश नागरमोथा की जड़ न उपलब्ध हो सके तो इसके स्थान पर सफेद चौटली की जड़ का भी इसी भांति प्रयोग किया जा सकता है।

3. काली सर्व शत्रु नाशक मंत्र

अमावस्या की रात को काली मन्दिर में जाकर महाकाली का पूजन करें। पूजन में देशी घी और कच्ची घानी के तेल का दीपक जलायें। फिर काले कम्बल के आसन पर बैठकर दस माला उक्त मन्त्र का जप कर सिद्ध कर लें।

मंत्र 
ॐ काली काली महाकाली ब्रह्मा की बेटी इन्द्र की साली
खावे पान बजावे ताली जा बैठी पीपल की डाली बांध
'अमुक' को बांध परिवार समेत बांध,
ना बांधे तो तुझे गोरखनाथ की आन ।

विधि 
जब कभी शत्रु या किसी व्यक्ति को बांधना हो तो जरा-सी मिट्टी लेकर इकतीस बार मन्त्रोच्चारण करके उस मिट्टी को एक ही फूंक में उड़ा देने से शत्रु या वह व्यक्ति साधक के बन्धन में बंध जाता है। अमुक के नाम पर साध्य व्यक्ति का नाम लेना चाहिये।

शत्रु नाशक मंत्र कैसे काम करता है?

शत्रु नाशक मंत्र का उपयोग करके शत्रुओं को नष्ट करने के लिए विभिन्न प्रकार के मंत्र और तंत्र का उपयोग किया जाता है। इन मंत्रों का चयन करने के लिए व्यक्ति को अपने शत्रु के प्रकार, स्वभाव, उद्देश्य और शत्रुता के स्तर पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। 

विभिन्न मंत्रों और तंत्रों का उपयोग करके, शत्रुओं के खिलाफ नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करने और उन्हें नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है। 

यह मंत्रों के प्रयोग से शत्रुओं के मनोवैज्ञानिक स्तर पर असुरक्षित महसूस कराने का उद्देश्य रखता है और उन्हें हानी करने से रोकता है। कुछ महत्वपूर्ण असरदार शत्रु नाशक मंत्र आगे दिए है 

शत्रु नाशक मंत्र: कुछ महत्वपूर्ण टिप्स 

शत्रु नाशक मंत्र का उपयोग करने से पहले आपको कुछ महत्वपूर्ण टिप्स का ध्यान रखना चाहिए:

  1. शुद्ध मन: मंत्र का उच्चारण करने से पहले, आपको अपने मन को शुद्ध करना होगा। मन को शुद्ध करने के लिए ध्यान करें और निश्चिंत रहें। 
  2. विश्राम: मंत्र का उच्चारण करने से पहले, आपको अपने शरीर को विश्राम देना चाहिए। ध्यान या योग का अभ्यास करने से पहले, आप अपने शरीर को तंदरुस्त करने के लिए विश्राम कर सकते हैं। 
  3. सटीक उच्चारण: मंत्र का सही उच्चारण करने के लिए, आपको उसके वर्णों और ध्वनियों को सही ढंग से उच्चारण करना होगा। मंत्र का सही उच्चारण करने के लिए, आप एक गुरु से मदद ले सकते हैं या वेबसाइटों और वीडियोज का सहारा ले सकते हैं। 
  4. नियमितता: शत्रु नाशक मंत्र का नियमित उच्चारण करने से पहले, आपको निश्चित करना होगा कि आप इसे नियमित रूप से करें। नियमितता मंत्र के प्रभाव को बढ़ाती है और शत्रुओं को समाप्त करने में सहायता करती है। 
  5. श्रद्धा: मंत्र का उच्चारण करते समय, आपको पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए। अपने मन को शांत करें और मंत्र के शक्ति में विश्वास रखें। 



Shatru Nashak Mantra का प्रयोग आपको नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने में मदद करता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। यह आपको गुप्त शत्रुओं से रक्षा करता है और आपकी सुरक्षा और सुख में मदद करता है। आप इसे अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक, और व्यावसायिक जीवन में उपयोग कर सकते हैं। ध्यान रखें कि इसका प्रभाव सभी पर एक जैसा नहीं होगा और आपको नियमितता और निष्ठा के साथ उच्चारण करना होगा। सर्व शत्रु नाशक मंत्रों का उपयोग करके आप अपने जीवन को सकारात्मकता, सुरक्षा, और सफलता की ओर आगे बढ़ा सकते हैं। 

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