किंतु उस स्थिति में जबकि मारण मंत्र प्रयोग करने वाले व्यक्ति को अपने प्राण बचाने का कोई रास्ता न सूझ रहा हो और सामने वाला हर हाल में उसे मौत के घाट उतारने पर तुला हुआ हो।
इस यंत्र पर 108 बार उपरोक्त सिद्ध मंत्र का जप करें और जप करते हुए इस पर चिता की भस्म डालें। ऐसा करने पर शत्रु शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
ऐसी दशा में भी मारण-कर्म करने वाले को अपने शत्रु को पहले हर तरह से समझाना चाहिए; क्योंकि मानव हत्या शास्त्रों में भी निषेध और पापपूर्ण कर्म बताया गया है।
मारण मंत्र (Maran Mantra) क्या होता हैं?
यदि किसी भी तरह अपनी आत्मरक्षा होती दिखाई न देती हो तो फिर व्यक्ति को अपनी प्राण रक्षा के लिए अपने शत्रु की जान लेने का अधिकार है। शाबर विद्या भी इस स्थिति में 'मारण-तंत्र कर्म ' करने को उचित ठहराती है।
परिस्थितियां भले ही कैसी भी हों, मारण मंत्र का प्रयोग भली प्रकार सोच- विचार कर और अत्यंत आवश्यक होने पर ही करना चाहिए।
ध्यान रहे कि किसी प्राणी की हत्या के पाप के फल को साधक को भी हर हालत में किसी न किसी रूप में अवश्य ही भुगतना पड़ता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए साधक को मारण-कर्म की ओर तभी प्रवृत्त होना चाहिए, जबकि इसके अलावा अन्य सभी मार्ग बंद हो गए हों, अन्यथा नहीं।
Maran Mantra | शत्रु के विनाश के लिए 5 तीव्र मारण प्रयोग
यहां पर मारण मंत्र के 5 विशिष्ट प्रयोग और उनकी साधना विधि को सविवरण प्रस्तुत किया गया है।
1. तीव्र मारण प्रयोग
दीपावली की रात्रि अथवा ग्रहणकाल में इस मंत्र का दस हजार की संख्या में जप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है।मंत्र
ॐ ह्रीं अमुकस्य हन् हन् स्वाहा।
विधि
इस मंत्र में प्रयुक्त शब्द 'अमुकस्य' के स्थान पर साध्य शत्रु के नाम का उच्चारण करें। कनेर के एक हजार फूल लें। उन्हें शुद्ध सरसों के तेल में भिगोकर सिद्ध मंत्र से अभिमंत्रित करके अग्नि में होम करें। ऐसा करने से शीघ्र ही शत्रु की मुत्यु हो जाती है।
2. शत्रु मारण मंत्र
दीपावली की रात्रि अथवा ग्रहणकाल में इस मंत्र का दस हजार की संख्या में जप करने से यह सिद्ध हो जाता है।मंत्र
ॐ नमो हाथ फाउड़ी कांधे मारा भैंरूं वीर मसाने खड़ा
लोहे की धनी वज्र का बाण वेग ना मारे
तो देवी कालका की आण गुरु की शक्ति मेरी भक्ति
फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा, सत्य नाम आदेश गुरु का।
ॐ नमो हाथ फाउड़ी कांधे मारा भैंरूं वीर मसाने खड़ा
लोहे की धनी वज्र का बाण वेग ना मारे
तो देवी कालका की आण गुरु की शक्ति मेरी भक्ति
फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा, सत्य नाम आदेश गुरु का।
विधि
मंत्र सिद्धि के पश्चात दीपावली की रात्रि में चौका लगाकर और दीप प्रज्वलित करके गुग्गुल की धूनी दें।
फिर उड़दों को सिद्ध मंत्र से अभिमंत्रित करके दीपक पर पहले 108 बार मारें और फिर 18 बार मारें।
इसके बाद उड़दों पर काले के खून को लगाकर, उन्हें राख में मिलाकर रखें।
इन उड़दों में से तीन दाने लेकर उन्हें सिद्ध मंत्र से अभिमंत्रित करके शत्रु के शरीर पर मारें।
ऐसा करने से शीघ्र ही शत्रु मृत्यु का शिकार हो जाता है।
3. अघोरी मारण मंत्र
यह मंत्र ग्रहणकाल अथवा दीपावली की रात्रि में जप करने से सिद्ध होता है। इस मंत्र का दस हजार की संख्या में जप किया जाता है, तभी इसकी सिद्धि प्राप्त होती है।
मंत्र
ॐ नमो नरसिंहाय कपिल जटाय अमोघ
वीचा सत्त वृत्ताय महोग्रचंडरूपाय।
ॐ ह्रीं ह्रीं क्षां क्षां क्षीं क्षीं क्षीं फट् स्वाहा।
वीचा सत्त वृत्ताय महोग्रचंडरूपाय।
ॐ ह्रीं ह्रीं क्षां क्षां क्षीं क्षीं क्षीं फट् स्वाहा।
विधि
यह मंत्र सिद्ध करने के पश्चात अपने शत्रु को ध्यान में रखते हुए एक हजार लाल पुष्प, कोविदार तथा घी को मिलाकर होम करें। इसके साथ ही मंत्रोच्चारण भी करते रहें। ऐसा करने से शीघ्र ही शत्रु मृत्यु को प्राप्त होता है। कौए के पंख तथा पंजे प्राप्त करें।
यह मंत्र सिद्ध करने के पश्चात अपने शत्रु को ध्यान में रखते हुए एक हजार लाल पुष्प, कोविदार तथा घी को मिलाकर होम करें। इसके साथ ही मंत्रोच्चारण भी करते रहें। ऐसा करने से शीघ्र ही शत्रु मृत्यु को प्राप्त होता है। कौए के पंख तथा पंजे प्राप्त करें।
इनके साथ ही कुश हाथ में लेकर किसी नदी पर पहुंचें। इन वस्तुओं के साथ मंत्रोच्चारण करते हुए नदी में 21 अंजुलि तर्पण करें। ऐसा करने से जिस शत्रु का मन-भाव से ध्यान किया जाएगा, कुछ समय पश्चात् वह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा।
4. पुतला मारण मंत्र
शनिवार, मंगलवार अथवा नवरात्रों में सर्वप्रथम काली- मदिरा आदि से पूजन किया जाए और बाकला का प्रसाद चढ़ाया जाए। इसके पश्चात इस मंत्र का नित्य प्रति दस हजार की संख्या में जप किया जाए तो यह मंत्र सिद्ध हो जाता है।मंत्र
ॐ नमो काली का पूत भैरव चाल्यो,
काला कूकर बैठ चाल्यो।
भौं भौं करै भैंरूं का साटा बैरी के माथे पड़े,
नस नाड्या फटें लोहू निकसे,
मैली मुशाणी चाटे चटकारा करे।
दिन उनारी बैरी मरे, आसो मैरानी को वाचा सिद्ध हो।
ॐ नमो काली का पूत भैरव चाल्यो,
काला कूकर बैठ चाल्यो।
भौं भौं करै भैंरूं का साटा बैरी के माथे पड़े,
नस नाड्या फटें लोहू निकसे,
मैली मुशाणी चाटे चटकारा करे।
दिन उनारी बैरी मरे, आसो मैरानी को वाचा सिद्ध हो।
विधि
यह मंत्र सिद्ध हो जाने के बाद आटे का एक पुतला बनाएं और उसमें अपने शत्रु की प्राण-प्रतिष्ठा करें। इस पुतले को सामने रखकर सिद्ध मंत्र से एक हजार शत्रु की बार अभिमंत्रित करें। अब पुतले को जिस स्थिति में रखा जाएगा, वैसी दशा भी होगी।
यदि इस पुतले को खैर के अंगारों की आंच में तपाया जाए तो शत्रु भीषण ज्वर रोग से पीड़ित हो जाएगा। यदि फिर पुतले को शीतल जल में डाल दिया जाए तो शत्रु का ज्वर ठीक हो जाएगा। आटे से निर्मित शत्रु की प्राण-प्रतिष्ठा और यथोचित मंत्रों से अभिमंत्रित इस पुतले को उस स्थान पर गाढ़ दिया जाए, जहां पर चिता के जलने से काला गोलाकार निशान बन जाता है।
ऐसा करने पर शत्रु गंभीर रूप से रोगग्रस्त होकर मृत्यु का शिकार बनता है। अमावस्या की रात्रि में नग्न होकर यदि इस पुतले को चिताग्नि में डाल दिया जाए तो शत्रु मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
5. अघोरी मारण प्रयोग
दीपावली की रात्रि अथवा ग्रहणकाल में इस मंत्र का दस हजार की संख्या में जप करने से यह सिद्ध हो जाता है।
मंत्र
ॐ नमो काल रूपाय अमुकं भस्मी कुरु कुरु स्वाहा।
विधि
मंत्र में प्रयुक्त हुए शब्द 'अमुकं' के स्थान पर साध्य शत्रु के नाम का उच्चारण करें। यह मंत्र सिद्ध हो जाने के बाद एक चिता की लकड़ी लाएं। भरणी नक्षत्र में पड़ने वाले मंगलवार को उसे इस सिद्ध मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करें।
यह अभिमंत्रित लकड़ी जिस व्यक्ति के द्वार पर गाढ़ दी जाएगी, उसकी तत्काल मृत्यु हो जाएगी। मंगलवार के दिन पंद्रह का यंत्र चिता की भस्म से विलोम करके बनाएं।
पंद्रह का यंत्र इस प्रकार है:
इस यंत्र पर 108 बार उपरोक्त सिद्ध मंत्र का जप करें और जप करते हुए इस पर चिता की भस्म डालें। ऐसा करने पर शत्रु शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
मनुष्य की हड्डी को पान में रखकर इस सिद्ध मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करें और जिस व्यक्ति को इसे खिला दिया जाएगा, उसकी तत्काल मृत्यु हो जाएगी।
मारण मंत्र का प्रयोग कैसे करें और कब?
मारण की देवी अत्यंत उग्र और विध्वंसक है। इसी कारण इस कर्मशक्ति का स्फुरण तीव्र गति से होता है। मारण-कर्म में प्रवृत्त होने वाले साधक में इतनी शक्ति और सामर्थ्य होनी चाहिए कि वह शक्ति के इस तीव्र स्फुरण को झेल सके।
यदि किसी कारणवश साधक ऐसे समय में भयभीत होकर कायरता का भाव प्रकट करे और इस तीव्र स्फुरण को झेलने में अक्षम सिद्ध हो तो वह शक्ति साधक पर ही भीषण आघात करने से नहीं हिचकती।
इस प्रकार स्पष्टतः मारण-कर्म की ओर प्रवृत्त होने वाले साधकों को चाहिए कि सर्वप्रथम तो वे ऐसा कर्म करने में संकोच करें और अंततः यदि विवशतावश उन्हें यह कर्म करना भी पड़े तो इस बात का ध्यान रखें कि उनके स्वयं के प्राण भी. संकट में पड़ सकते हैं।
अतः अपनी आत्मरक्षा के सभी उपाय करके और अपने आपको निर्भय, निर्द्वद्व करके ही इस ओर पग बढ़ाएं। इस तरह आप भी यदा कदा गुप्त शत्रुवोसे पीड़ित है या आपको कोई परेशां कर रहा है तो आपको इन Maran Mantra प्रयोग करके अपनी परेशानी में डालने वाले शत्रुवोसे निजात पासकते है। लेकिन ध्यान रहे बेहद ही यह तीव्र मारण प्रयोग है। इसलिए इन अघोरी मारण मंत्र का इस्तेमाल तभी करे जब आपको कोई विकल्प न मिल रहा हो।
Maran mantra expert guruji+91-7303568804
जवाब देंहटाएंwww.loveproblemsolution2.com
मंत्र सिद्धहो गयाकैसे पता करे
जवाब देंहटाएंशक्ति ट्रांसफर मंत्र दिजिए
जवाब देंहटाएंशाबर मंत्र से सम्बंधित सबसे बड़ा ब्लॉग है lalukashyap.blogspot.com
जवाब देंहटाएंहमे करीब 6 वर्ष से शत्रु परेशान कर रहे हैं हम क्या करे
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